आहार संतुलन कार्यक्रम

आहार संतुलन कार्यक्रम

दुधारू पशुओं की केवल आनुवंशिक क्षमता बढ़ाकर उनसे बेहतर दुग्ध करना संभव नहीं है । उपलब्ध तथ्य यह दर्शाते हैं कि जब दुधारू पशुओं को संतुलित आहार खिलाया जाता है तब उन्हें आनुवंशिक क्षमता के अनुरूप दूध उत्पादन करने हेतु जरूरी पोषक तत्व उपयुक्त मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं। अनुसंधान / परीक्षण दर्शाते हैं कि संतुलित आहार से दूध उत्पादन  बढ़ता है, उत्पादन लागत घटती है तथा मिथेन गैस उत्सर्जन में कमी आती है। आमतौर पर दुधारू पशुओं को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध एक या दो कंसट्रेट पशु खाद्य पदार्थ , घास एवं सूखे चारे / फसल अवशेष ही खिलाये जाते हैं, जिसके फलस्वरूप उनका आहार प्राय: असंतुलित रहता है और उसमें प्रोटीन, उर्जा, खनिज तत्वों तथा विटामिनों की मात्रा कम या ज्यादा हो जाती है। असंतुलित आहार न केवल पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है अपितु दुग्ध उत्पादन से होने वाली आय को भी प्रभावित करता है, क्योंकि आहार खर्च दुग्ध उत्पादन की कुल लागत 70 प्रतिशत हिस्सा होता है।

अतः दुग्ध उत्पादकों को संतुलित आहार के बारे में शिक्षित करने की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे दुधारू पशुओं की पोषक तत्वों की आवश्यकता सही रूप से पूरी हो सकेगी। फलस्वरूप पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में सुधार होगा तथा दुग्ध उत्पादकों की शुद्ध आय में बढ़ोत्तरी होगी।

राष्ट्रीय डेयरी योजना (NDP I) के अंतर्गत 40,000 गांवों में 27 लाख दुधारू पशुओं को लगभग 40,000 स्थानीय जानकार  व्यक्तियों (LRP) की सहायता से आहार संतुलन कार्यक्रम में सम्मिलित करने की योजना है।  स्थानीय जानकार  व्यक्तियों का चयन,  प्रशिक्षण और उनके कामकाज की देखरेख की जिम्मेदारी सहकारी डेयरियों तथा उत्पादक कंपनियों की रहेगी।  इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय जानकार व्यक्तियों की प्रशिक्षण लागत, कार्यक्रम हेतु आवश्यक उपकरण तथा उन्हें दी जाने वाली मासिक वृति का प्रावधआन लगभग दो वर्षों के लिए है। तत्पश्चात एलआरपी द्वारा क्षेत्र विशेष खनिज मिश्रण  तथा विभिन्न आहार संपूरकों की बिक्री के माध्यमों से होने वाले कमीशन से आय अर्जित कर आत्म निर्भर बनने की अपेक्षा की जाती है।

इस परियोजना का उद्देश्य प्रचार प्रसार सेवा के क्षेत्र में नये तरीकों का प्रदर्शन करना है जिसमें पशुओं की विशेष पहचान उनकी उत्पादकता(दूध, वसा आदि) नापना और किसान के घर पर परामर्श सेवाएँ उपल्ब्ध कराने के महत्व पर जोर दिया गया है।  इस परियोजना में परिकल्पना की गई है कि आहार संतुलन कार्यक्रम में शामिल होने वाले हर पशु के कान पर टैग लगाकर एक विशिष्ट पहचान दी जाएगी और उसे पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादकता सूचना तंत्र (INAPH) में दर्ज कर उसकी उत्पादकता तथा कार्यक्रम के प्रभावकारी होने के बारे में निगरानी रखी जा सके। राष्ट्रीय डेयरी योजना के तहत आहार संतुलन कार्यक्रम को देशभर में सफलतापूर्वक लागू करने के लिए उपयुक्त एवं कारगर प्रशिक्षण नितांत आवश्यक है। कार्यान्वयन एजेंसियों जैसे दुग्ध संघो/ उत्पादक कंपनियों,पशु पोषण विशेषज्ञों, एवं प्रशिक्षकों को कार्यक्रम संबंधित प्रशिक्षण राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, आनंद में दिया जायेगा। तदोपरान्त ये प्रशिक्षित अधिकारी अपने-अपने दुग्ध संघ / उत्पादक कंपनी में स्थानीय जानकार  व्यक्तियों (LRP) को क्षेत्रीय भाषा में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।

प्रशिक्षित स्थानीय जानकार व्यक्ति संतुलित आहार खिलाने के बारे में पशुपालकों को परामर्श सेवाएं उनके घर पर प्रदान करेंगे। दुग्ध उत्पादकों को आधुनिक तकनीकों जैसे दुधारू पशुओं को बायपास प्रोटीन, बायपास वसा, क्षेत्र विशेष खनिज मिश्रण, उपाचारित/ गुणवत्ता वृद्धि करके फसल अवशेषों को आदि खिलाने हेतु जानकारी देंगे। इसके अलावा उन्हें पशुओं को पानी पिलाने का महत्व, चारा खिलाने के लिए सही मेंजर (नाँद), नवजात बछड़ों को खीस पिलाने का महत्व, चारा कुट्टी करना, कृमि नाशक, टीकाकरण, समय पर गर्भाधान आदि के बारे में भी अवगत कराएगें ।

आहार संतुलन कार्यक्रम के लाभ-

  • स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थों का उपयुक्त इस्तेमाल कर कम लागत में  संतुलित आहार तैयार होता है।
  • दुग्ध उत्पादन, दुग्ध वसा एस एन एफ में वृद्धि होती है।
  • पशुपालकों की दैनिक आमदानी बढ़ाने में मदद करता है।
  • पशुओं की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है।
  • दो ब्यातों के बीच अंतराल कम होने से पशुओं का उत्पादक जीवन बढ़ता है।
  • पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • बछियों का विकासदर बेहतर होता है और शीघ्र परिपक्वता जल्दी आती है।