चारे की फसल के रूप में मोरिंगा को बढ़ावा

मोरिंगा (मोरिंगा ओलिफेरा) एक बहुउद्देशीय पौधा है, जिसे आहार, औषधीय, औद्योगिक और चारे के उद्देश्य से उगाया जाता है। इसे ड्रमस्टिक, सहजन, सुजना, सेजन और मुनगा, हार्स रेडिश ट्री, सरगावो, सेवगा आदि नामो से जाना जाता है। चारा फसल के रूप में मोरिंगा खेती करने पर भूमि के एक टुकड़े में 4 से 5 वर्षों के लिए ‘वर्षभर’ उच्च गुणवत्ता युक्त हरा चारा उत्पादन की क्षमता होती है। वर्षभर मे 4 से 5 कटाई में 100-120 टन/प्रति हेक्टेयर हरे चारे का उत्पादन किया जा सकता है जो मिश्रित आहार प्रणाली के अंतर्गत 18 से 20 पशुओं को खिलाने के लिए पर्याप्त होता है। मोरिंगा की खेती पौधों की रोपाई या तने की कटाई के द्वारा भी की जा सकती है। औसतन 1 किलो मोरिंगा बीज से क्षेत्र की परिस्थितियों में लगभग 2500 पौधे उगाए जाते हैं।

मोरिंगा की खेती की उत्तम कृषि पद्धतियों (जीएपी) को अपनाने के बारे में जागरूकता पैदा करने से बीज और चारा उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है ।

चारे के लिए मोरिंगा की खेती से संबंधित परियोजनाओं का अवलोकन:

एनडीडीबी ने केरल में मालाबार दूध संघ और झारखंड में झारखंड दूध महासंघ को किसानों के खेतों में हरे चारे के रूप में मोरिंगा की खेती करने पर प्रायोगिक परियोजनाओं की शुरूआत करने के लिए प्रोत्साहित किया ।

मोरिंगा की खेती करने के लिए केरल और झारखंड में क्रमशः लगभग 40 एकड़ भूमि और 35 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। इन परियोजनाओं में किसानों द्वारा लगभग 4500 मीट्रिक टन मोरिंगा चारे का उत्पादन किया गया था और इसका उपयोग डेरी पशुओं को खिलाने के लिए किया गया था।

एनडीडीबी ने चारे की दस विभिन्न मोरिंगा की किस्मों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए कर्नाटक के मैसूर जिले में किसानों के खेतो पर एक क्षेत्र परीक्षण किया है । दस में से पीकेएम-1, भाग्या और मैसूर-लोकल को चारा उत्पादन के लिए बेहतर पाया गया है।

बीज का उत्पादन:

किसानों को वितरित करने हेतु मोरिंगा बीज का उत्पादन करने के लिए गुजरात के इटोला और झारखंड के होटवार में लगभग 10 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। आज की तारीख में लगभग 480 किग्रा मोरिंगा चारा बीज उत्पादित करके किसानों को उसकी आपूर्ति की जा चुकी है।

उत्तम कृषि पद्धतियां:

एनडीडीबी चारा उत्पादन हेतु मोरिंगा स्पेसिंग ट्रायल (चारा उगाने के लिए आदर्श दूरी ) कर रही है। 15 अक्टूबर, 2019 से 9 महीने की खेती की अवधि के दौरान 3 कटाई में क्रमशः 12 x 4 इंच की दूरी पर बोई गई मोरिंगा चारे की फसल ने सबसे अधिक हरे चारे और शुष्क पदार्थ की उपज प्रदान करी, जो क्रमश: 53.72 टन / हेक्टेयर और 12.44 टन / हेक्टेयर रही, जबकि 6 x 6 इंच की दूरी पर हरे चारे और शुष्क पदार्थ की उपज क्रमश: 50.24 टन / हेक्टेयर और 10.76 रही ।

मोरिंगा चारे की खेती और बीज उत्पादन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए:

https://www.youtube.com/watch?v=BmHI6wiTXZA
https://www.dairyknowledge.in/sites/default/files/moringa-oleifera-eng.pdf
https://www.dairyknowledge.in/sites/default/files/moringa-oleifera-hindi.pdf