कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवाएँ

कृत्रिम गर्भाधान (एआई) किसानों के घर पर श्रेष्ठ आनुवंशिकी में वृद्धि करने का सबसे किफायती एवं सुविधाजनक जैव प्रौद्योगिकीय तकनीक है। हालांकि, देश में गोवंशीय पशुओं का एआई कवरेज 30 प्रतिशत है जिसका दायरा विभिन्न राज्यों में 71 प्रतिशत से लेकर 1 प्रतिशत से भी कम का है। इसका अर्थ है कि 65 प्रतिशत पशु अभी भी प्राकृतिक सेवा (नेचुरल सर्विस) के माध्यम से पैदा होते हैं क्योंकि ये सेवाएं किसानों के घर पर उपलब्ध नहीं हैं अथवा उन्हें वर्तमान सेवाओं की प्रभावकारिता पर भरोसा नहीं हैं । डेयरी विकसित देशों में 60 प्रतिशत से अधिक एआई सफलता दर के मुकाबले 35 प्रतिशत की अनुमानित समग्र गर्भाधान दर के साथ देश में सालाना लगभग 8 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जाते हैं। । इससे साफ संकेत मिलता है कि एआई सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करके एआई के लाभ को दोगुना बढ़ाया जा सकता है।

एनडीपी I और आरजीएम योजना के तहत बनाए गए प्रजनन बुनियादी ढांचे के लाभों को प्राप्त करने के लिए, एआई के कवरेज को बढ़ाने के लिए केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं। चूंकि एआई कार्यक्रमों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना बहुत आवश्यक है इसलिए एनडीडीबी ने पशु उत्पादकता एवं स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क (इनाफ) एप्लिकेशन का विकास किया है जो पशु स्वास्थ्य, पोषण एवं प्रजनन से संबंधित आंकड़ों को कैप्चर (संग्रहीत) करने का एक राष्ट्रीय डाटाबेस है। इनाफ डेटा के विश्लेषण से हितधारकों को कवरेज बढ़ाने के साथ-साथ एआई की सफलता दर में सुधार करने के लिए सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी जिससे प्रजनन क्षमता में वृद्धि होगी और वैज्ञानिक प्रजनन को अपनाने को लोकप्रिय बनाया जा सकेगा।

मानक कार्य प्रणाली (एसओपी) का प्रयोग करते हुए किसानों के घर पर कृत्रिम गर्भाधान (एआई) की सेवा प्रदान की जाती है जो कि वैज्ञानिक पशु प्रजनन गतिविधियों का मुख्‍य भाग है। एनडीडीबी अपने विभिन्‍न प्रशिक्षण केंद्रों के माध्‍यम से, एआई तकनीशियनों तथा पेशेवरों को व्‍यावसायिक प्रशिक्षण भी उपलब्‍ध कराती है । केंद्रीय निगरानी इकाई (सीएमयू), भारत सरकार द्वारा एनडीडीबी के एआई प्रशिक्षण केंद्रों का मूल्यांकन किया जाता है और मान्यता दी जाती है।