एआई डिलीवरी प्रणाली
कृत्रिम गर्भाधान की शुरूआत से देश में गाय एवं भैंस की प्रजनन योग्य आबादी में कृत्रिम गर्भाधान के लिए तरल वीर्य के प्रयोग से हिमिकृत वीर्य के प्रयोग तक की तकनीक में काफी विकास हुआ है । इस तकनीक का प्रयोग नियमित रूप से डेरी पशुओं के प्रजनन में किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप प्रजनन योग्य गाय-भैंसों के कृत्रिम गर्भाधान कवरेज में काफी वृद्धि हुई है । कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं को परंपरागत केंद्रों से किसानों के घरों तक पहुंचाने में एआई डिलीवरी प्रणाली में बदलाव आया है ।
मानक कार्य प्रणाली (एसओपी) का प्रयोग करते हुए किसानों के घर पर कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवा प्रदान की जाती है जो कि वैज्ञानिक पशु प्रजनन गतिविधियों का मुख्य भाग है । एआई के इस मॉडल की स्वीकृति ने अन्य तकनीकों जैसे सेक्स सीमन तथा भ्रूण उत्पादन एवं हिमिकरण इत्यादि के विकास को गति प्रदान की है ।
कृत्रिम गर्भाधान किया गया प्रत्येक पशु तथा अनोखी संख्या युक्त कान में टैग का प्रयोग करते हुए सभी जन्में मादा बछियों की पहचान; केवल ‘ए’ श्रेणी या ‘बी’ श्रेणी के वीर्य उत्पादन केंद्रों के वीर्य का प्रयोग; निर्धारित प्रारूप में सभी आंकड़ों को दर्ज किया जाना एआई के लिए एसओपी के अनुसार शामिल हैं । एनडीडीबी अपने विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से, एआई तकनीशियनों तथा पेशेवरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराती है ।