हरा चारा उत्पादन और संरक्षण

हरे चारे का उत्पादन एवं संरक्षण

उन्नत चारा उत्पादन और संरक्षण को अपनाकर भारत में हरे चारे की कमी की पुरानी समस्या का समाधान किया जा सकता है जिससे गुणवत्ता और मात्रा दोनों के संदर्भ में हरे चारे के उत्पादन और उपलब्धता में वृद्धि होगी ।

चारा विकास के क्षेत्र में एक त्रि-आयामी दृष्टिकोण को अपनाया गया है:

क. “चारा बीज उत्पादन वृद्धि” के क्षेत्र में पहल।

ख. “हरा चारा उत्पादन प्रौद्योगिकियों” का विकास और उसे लोकप्रिय बनाना।

ग.  चारा संरक्षण के लिए उपयुक्त तकनीकों और नवीन मॉडलों का विकास करना।

 

एनडीडीबी, चारा प्रदर्शन इकाई का भ्रमण करने वाले किसानों/ प्रशिक्षुओं को चारा फसलों की उन्नत किस्मों की खेती जैसे अन्न चारा फसल (मक्का, ज्वार, बाजरा, जई, जौ, ट्रीटिकेल, मकचरी, कॉक्स), दलहनी चारा (रिजका, बरसीम, लोबिया, ग्वार, राइस बीन, वेल्वेट बीन), बहुवर्षी घास (बाजरा नेपियर हाइब्रिड, गिनी घास, सिटेरिया, अंजन, अपंग, रोड्स, पैरा घास), चारागाह के लिए बहुवर्षी दलहनी चारे (दशरथ घास, अपराजिता, स्टाइलो) और चारा वृक्ष (शेवेरी, ग्लिरिसीडिया, अगस्ती, सहजन, छाया) का प्रदर्शन करती है । चारा विकास हेतु “चारा उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों” पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें विभिन्न दुग्ध  संघों के चारा अधिकारियों और क्षेत्रीय कर्मचारीयों को प्रशिक्षित किया जाता है।