एनडीडीबी की सहायक कंपनी आईआईएल कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करेगी

एनडीडीबी की सहायक कंपनी आईआईएल कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करेगी

8 अप्रैल 2020, आणंद: राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की हैदराबाद स्थित पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इंडियन इम्युनोलॉजिकल लिमिटेड (आईआईएल) कोरोना वायरस (कोविड-19) का टीका विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करेगी।

एनडीडीबी एवं आईआईएल के अध्यक्ष, श्री दिलीप रथ ने बताया, “इस महत्वपूर्ण अंतर-महाद्वीपीय सहयोग के तहत, आईआईएल और ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से नवीनतम् कोडान डी-ऑप्टिमाइजेशन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक लाइव एटेनुएटेड सार्स – सीओवी-2 टीका’  या कोविड-19 टीका विकसित करेंगे। यह प्रौद्योगिकी मनुष्यों में कोरोना वायरस के प्रति रोगनिरोधक (प्रोफाइलेटिक), क्रियाशील, सिंगल डोज प्रतिरक्षा टीके के विकास के अनुकूल प्रतीत होती है, जिसमें एक श्रेष्ठ सुरक्षा प्रोफ़ाइल उपलब्ध है। इस टीके से दीर्घकालिक सुरक्षा उपलब्ध होने की संभावना है।”

अनुसंधान के पूर्ण होने पर, इस वैक्सीन स्ट्रेन को आईआईएल के सुपुर्द कर दिया जाएगा और टीका निर्माता कंपनी देश के विनियामक प्राधिकरण - सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) के अनुसार कार्य करेगी ताकि आगे चरणबद्ध ढंग से नैदानिक परीक्षणों को संचालित किया जा सके।

श्री रथ ने कहा कि आईआईएल पशु चिकित्सा जैविकों की एक प्रमुख कंपनी है और गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की आपूर्ति के प्रति समर्पित है। आईआईएल का मिशन ऐसे टीकों का विकास तथा उसकी आपूर्ति करना है, जिससे कि वन हेल्थ पहल को सहयोग मिले । आईआईएल श्रेष्ठ गुणवत्ता के किफायती टीकों को विकसित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। आईआईएल विश्व भर में खुरपका एवं मुंहपका रोग के टीकों की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी है तथा प्यूरीफाइड वेरो सेल रेबीज मानव टीका (पीवीआरवी) लॉन्च वाली भारत की पहली कंपनी है।

ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय के हेल्थ इंस्टीट्यूट क्वींसलैंड के प्रोफेसर सुरेश महालिंगम, मेनज़ेज़ ने अनुसंधानात्मक सहयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम इस महत्वपूर्ण टीके के विकास हेतु आईआईएल के साथ मिलकर कार्य करने की क्षमता हासिल करने पर अत्यंत उत्साहित हैं। चूंकि यह टीका एक लाइव एटेनुएटेड टीका होगा, इसलिए इसके अधिक प्रभावी होने की उम्मीद है, जिसमें इस वायरस के प्रति अधिक मजबूत सेलुलर और एंटीबॉडी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उपलब्ध कराई जाएगी । वृहद स्तर पर किफायती विनिर्माण का प्रामाणिक ट्रैक रिकॉर्ड तथा और सुनियोजित विनियामक अनुमोदन प्रक्रिया इस लाइव एटेनुएटेड टीके के अन्य लाभ हैं।”

आईआईएल पहले से ही ज़ीका वायरस टीके के अनुसंधान और विकास के लिए ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के साथ कार्यरत रहा है, जो कि वर्तमान में पूर्व-नैदानिक ​​विष विज्ञान के परीक्षण चरण में है। एंटरोवायरस सी (पोलियोवायरस), ह्यूमन इम्युनोडिफिशिएंसी वायरस टाइप 1, ज़ीका वायरस इत्यादि सहित कई आरएनए वायरसों के संक्रमण में कमी लाने के लिए कोडान डी-ऑप्टिमाइज़ेशन प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है।